आज फिर बदरा फिर बरसे। झूम-झूम कर बरसे। लेकिन इस बार उसने खुद को इन आवारा बादलों से बचा लिया था। बाहर भले ही बारिश हो रही थी लेकिन उसकी आंखों में रिमझिम आंसू थे। बादलों को बरसते हुए देखकर वह अतीत में लौट चुकी थी। एक ऐसा अतीत जिसकी खूबसूरत यादों को वह संभाल कर नहीं रख सकती थी। पहली बार उन दोनों की मुलाकात एक बारिश में हुई थी। अंधेरी वेस्ट के उस बस स्टैंड पर वह खुद को बारिश से भगाने की असफल कोशिश कर रही थी। लेकिन जैसे पूरे बारिश का पानी उसे भिगोने के लिए ही बरस रहा था। वह पूरी तरह भीग चुकी थी। पास में ही खड़ा अमित बार-बार नजरें चुरा कर उसे देख रहा था। वह भी उसे तिरछी नजरों से उसे ही देख रही थी। अमित ने सोचा कि बात की जाए या नहीं। कई मिनटों तक वह इस उधेड़बुन में लगा रहा। अंत में हिम्मत कर उसने अपना छाता उसकी ओर बढ़ा दिया। यह देखकर वह सकपका गई। लेकिन उसने मना नहीं किया। बस यह उनकी पहली मुलाकात थी। बारिश थमी और दोनों के रास्ते जुदा हो गए। वह चर्च गेट की लोकल पकड़कर चली गई। जबकि अमित ने मलाड लोकल को पकड़ा। इसके बाद स्टेशन पर हर रोज लाखों लोग अपने सफर के लिए उतरते और चढ़ते रहे। लेकिन अमित कहीं भी नहीं था। वह जा चुका था। वह हर रोज उसी बस स्टॉप पर उसकी राह देखती रही। पूरे एक साल बाद आज फिर बादल बरसे। लेकिन इस बार कोई उसे इन बारिश की बूंदों से बचाने के लिए वहां नहीं खड़ा था। पूरी दुनिया ने बादलों को बरसते देखा लेकिन उसकी आंखों की बारिश को कोई नहीं देख पा रहा था। वह लगातार रोई जा रही थी। लेकिन आखिर क्यों?
गुजरात में अगले महीने चुनाव है और इसी के साथ भगवा नेकर पहनकर कई सारे लोग बेनामी नाम से ब्लॉग की दुनिया में हंगामा बरपा रहे हैं. एक ऐसे ही बेनामी से मेरा भी पाला पड़ गया. मैं पूरा प्रयास करता हूँ कि जहाँ तक हो इन डरपोक और कायर लोगों से बचा जाए. सुनील ने मोदी और करण थापर को लेकर एक पोस्ट डाल दी और मैं उस पर अपनी राय, बस फिर क्या था. कूद पड़े एक साहेब भगवा नेकर पहन कर बेनामी नाम से. भाई साहब में इतना सा साहस नहीं कि अपने नाम से कुछ लिख सकें. और मुझे ही एक टुच्चे टाईप पत्रकार कह दिया. मन में था कि जवाब नहीं देना है लेकिन साथियों ने कहा कि ऐसे लोगों का जवाब देना जरूरी है. वरना ये लोग फिर बेनामी नाम से उल्टा सुलटा कहेंगे. सबसे पहले बेनामी वाले भाई साहब कि राय.... अपने चैनल के नंगेपन की बात नहीं करेंगे? गाँव के एक लड़के के अन्दर अमेरिकन वैज्ञानिक की आत्मा की कहानी....भूल गए?....चार साल की एक बच्ची के अन्दर कल्पना चावला की आत्मा...भूल गए?...उमा खुराना...भूल गए?....भूत-प्रेत की कहानियाँ...भूल गए?... सीएनएन आपका चैनल है!....आशीष का नाम नहीं सुना भाई हमने कभी...टीवी १८ के बोर्ड में हैं आप?...कौन सा...
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